आत्मनिर्भर तिलहन अभियान

तो दोस्तों आपका स्वागत है हमारे आत्मनिर्भर तिलहन योजना के अंदर इस योजना का तात्पर्य भारत सरकार भारत में तिलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए इस योजना को जनता द्वारा प्रोटसा कर रही है

जिसे भारत में तिलहन का उत्पादन बढ़े और भारत तिरन उत्पादन में विश्व स्तर पर प्रथम साबित हो जिससे भारत के तिलहन उत्पादन में वृद्धि हो और भारत देश के तिलहन उत्पादकको अधिक लाभ प्रदान हो सके आज के इस बढ़ते युग मेंतिलहन उत्पादन से अलग-अलग प्रकार के वास्तु व सामान का उत्पादन किया जाता है जिसको देखते हुए भारत सरकार इसको बढ़ोतरी देने के इसलिए प्रारंभ की है इसके बारे में संपूर्ण जानकारी नीचे दी गई है |

आत्मनिर्भर तिलहन अभियान उद्देश्य

आत्मनिर्भर तिलहन अभियान का उद्देश्य भारत में तिलहन (जैसे कि सोयाबीन, मूँगफली, सूरजमुखी, इत्यादि) की उत्पादन क्षमता को बढ़ाना है। इसके तहत, सरकार और संबंधित संस्थाएं किसानों को तिलहन की खेती के लिए प्रोत्साहित करती हैं और उन्हें आवश्यक तकनीकी समर्थन, बीज, उर्वरक, और वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं।

मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  1. आर्थिक आत्मनिर्भरता: तिलहन के उत्पादन को बढ़ाकर देश को तिलहन की आयात निर्भरता को कम करना और किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त करना।
  2. फसल विविधता: तिलहन की खेती को बढ़ावा देकर फसल विविधता को बढ़ाना और मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार लाना।
  3. कृषि विकास: किसानों को नवीनतम तकनीकी जानकारी और कृषि अनुसंधान के माध्यम से उत्पादन की विधियों में सुधार करना।
  4. रोजगार सृजन: तिलहन की खेती से संबंधित गतिविधियों से रोजगार के अवसर पैदा करना।

आत्मनिर्भर तिलहन अभियान क्या है

आत्मनिर्भर तिलहन अभियान भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया एक विशेष पहल है, जिसका उद्देश्य तिलहन उत्पादन को बढ़ाना और देश को तिलहन की आयात निर्भरता से बाहर निकालना है। यह अभियान “आत्मनिर्भर भारत” अभियान का हिस्सा है, जो देश की कृषि और आर्थिक आत्मनिर्भरता को सुदृढ़ बनाने पर केंद्रित है।

मुख्य बिंदु:

  1. उत्पादन बढ़ाना: तिलहन की खेती को प्रोत्साहित कर भारत में तिलहन उत्पादन को बढ़ाना। इससे देश की खाद्य तेल की आयात निर्भरता को कम किया जा सकेगा।
  2. किसान समर्थन: किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों, उच्च गुणवत्ता वाले बीज, उर्वरक, और अन्य संसाधनों के माध्यम से समर्थन प्रदान करना।
  3. वित्तीय सहायता: कृषि बुनियादी ढांचे और इनपुट की लागत को कम करने के लिए वित्तीय योजनाएं और सब्सिडी प्रदान करना।
  4. तकनीकी हस्तक्षेप: तिलहन के बेहतर उत्पादन के लिए अनुसंधान और विकास के माध्यम से नई तकनीकों को अपनाना और किसानों को प्रशिक्षित करना।
  5. फसल विविधता: तिलहन की खेती से संबंधित फसलों की विविधता को बढ़ावा देना और इससे जुड़े लाभों को किसानों तक पहुंचाना।
  6. विपणन और निर्यात: तिलहन की अधिक उत्पादकता से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा बढ़ाना।

आत्मनिर्भर भारत अभियान योजना

मुख्य पहलू और योजनाएँ:

  1. आत्मनिर्भर भारत पैकेज:
    • वित्तीय प्रोत्साहन: महामारी से प्रभावित उद्योगों और व्यवसायों को सहायता देने के लिए ₹20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की घोषणा की गई। इसमें छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs), किसानों, और श्रमिकों को वित्तीय समर्थन शामिल है।
    • रूपरेखा: पैकेज में विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि कृषि, निर्माण, स्वास्थ्य, और शिक्षा के लिए विशेष प्रोत्साहन योजनाएं शामिल हैं।
  2. मेक इन इंडिया:
    • उद्योग संवर्धन: देश में विनिर्माण गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए। भारतीय उद्योगों को स्थानीय रूप से उत्पादित वस्तुओं की मांग को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
    • विदेशी निवेश: विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए नीतिगत सुधार और सुगम व्यापार प्रक्रियाओं का कार्यान्वयन।
  3. डिजिटल इंडिया:
    • ई-गवर्नेंस: सरकारी सेवाओं को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाना, ताकि नागरिकों को सुविधाजनक और पारदर्शी सेवाएं मिल सकें।
    • डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर: इंटरनेट और डिजिटल सेवाओं का विस्तार और सुधार करना।
  4. मिशन आत्मनिर्भर कृषक:
    • कृषि सुधार: किसानों को आधुनिक कृषि तकनीक, बुनियादी ढांचे और वित्तीय सहायता प्रदान करना।
    • फसल विविधता: फसल विविधता को बढ़ावा देना और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना।
  5. मिशन एनर्जी और सस्टेनेबिलिटी:
    • स्वच्छ ऊर्जा: नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को प्रोत्साहित करना और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देना।
    • इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास: ऊर्जा क्षेत्र में सुधार और बुनियादी ढांचे की मजबूती पर ध्यान देना।
  6. प्रौद्योगिकी और नवाचार:
    • रिसर्च एंड डेवलपमेंट: विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना।
    • स्टार्टअप्स: नवोन्मेषक उद्यमों को समर्थन देना और नए व्यवसायों को स्थापित करने में मदद करना।

आत्मनिर्भर भारत अभियान कब शुरू हुआ

आत्मनिर्भर भारत अभियान” भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया एक प्रमुख पहल है, जो 12 मई 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित किया गया था। इसका उद्देश्य भारत को आत्मनिर्भर बनाना है, और यह विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान आर्थिक सुधार और विकास को प्रोत्साहित करने के लिए शुरू किया गया था। यह अभियान ‘मेक इन इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’, और ‘स्किल इंडिया’ जैसे अन्य कार्यक्रमों के साथ मिलकर देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने की दिशा में काम करता है।

भारत में तिलहन उत्पादन में प्रथम स्थान किसका है?

तिलहन उत्पादन का प्रथम स्थान भारत देश के अंदर कुल तिलहन उत्पादन में मध्यप्रदेश प्रथम (31 प्रतिशत) स्थान पर है। इसके बाद राजस्थान और गुजरात का स्थान है। मध्यप्रदेश में उगाई जाने वाली प्रमुख तिलहन फसलें सोयाबीन, रेपसीड/कैनोला-सरसों, तिल, मूंगफली, अलसी और नाइजर हैं।

आत्मनिर्भर किसान कैसे बने?

आपको आत्मनिर्भर किसान बना है तो आप इन सभी कर्म को ध्यानपूर्वक पढ़कर आप आत्मनिर्भर किसान बन सकते हैं |

सर्वेक्षण और योजना: अपनी ज़मीन, मिट्टी, जलवायु, और बाजार की स्थिति का सही आकलन करें। इसके आधार पर एक अच्छी खेती की योजना तैयार करें।

विविधिकरण: एक ही फसल पर निर्भर रहने की बजाय फसल विविधिकरण अपनाएं। विभिन्न फसलों और फसल चक्र का पालन करने से जोखिम कम होता है और उत्पादन में सुधार होता है।

सामग्री और तकनीक: उन्नत तकनीकों और आधुनिक कृषि उपकरणों का उपयोग करें। नई तकनीकों, जैसे ड्रिप इरिगेशन, उन्नत बीज, और जैविक खाद, को अपनाएं।

विपणन योजना: फसल की बिक्री के लिए एक सशक्त विपणन योजना बनाएं। स्थानीय और बाहरी बाजारों की जानकारी रखें और मूल्य निर्धारण की रणनीति तैयार करें।

प्रशिक्षण और शिक्षा: कृषि से संबंधित नवीनतम जानकारी और प्रशिक्षण प्राप्त करें। कृषि विश्वविद्यालयों और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएं।

सहेजना और निवेश: अपने फसल उत्पादन को सुधारने के लिए सही ढंग से निवेश करें और कुछ भाग फसल की सुरक्षा और मरम्मत के लिए भी बचाकर रखें।

जल प्रबंधन: जल का सही उपयोग सुनिश्चित करें। वर्षा के पानी को संचित करने और इरिगेशन की विधियों को समझने से फसल की वृद्धि में सुधार हो सकता है।

जैविक खेती: रासायनिक खाद और कीटनाशकों के बजाय जैविक खेती को अपनाएं। इससे न केवल भूमि की उर्वरता बढ़ेगी, बल्कि लागत भी कम होगी।

सामाजिक नेटवर्क: अन्य किसानों से जुड़ें और उनके अनुभवों से सीखें। किसान समूहों और सहकारी समितियों में भाग लें।

वित्तीय प्रबंधन: अपने वित्तीय मामलों का सही तरीके से प्रबंधन करें। बजट बनाएं, खर्चों की निगरानी करें, और आपातकालीन स्थितियों के लिए फंड तैयार रखें।

तिलहन प्रौद्योगिकी मिशन की स्थापना कब हुई थी?

तिलहन प्रौद्योगिकी मिशन (Oilseeds Technology Mission) की स्थापना भारत में 1986-87 में हुई थी। इस मिशन का उद्देश्य तिलहन उत्पादन बढ़ाना और देश को तिलहन में आत्मनिर्भर बनाना था। इसके तहत नई तकनीकों को अपनाने, बीज उत्पादन को सुधारने और खेती की प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

तो दोस्तों मेरे ख्याल से आपको हमारा आज या महत्वपूर्ण योजना आपको बेहद प्राप्त साबित हुआ होगा तो आगे भी सरकारी योजना से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए आप navbharatscheme.com के साथ हमेशा बने रहे कि आप योजना का फायदा ले सकते हैं |

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